मुंबई में एक अनूठा और यादगार कार्यक्रम।
सुने कहानी -12
बहु चर्चित वरिष्ठ पत्रकार और कथाकार प्रिय हरीश पाठक जी से बरसों बरसों का परिचय है। वे मुंबई में समय समय पर बहुत अच्छे साहित्यिक आयोजन करवाते रहते हैं जिसमें देश भर से लेखक शामिल होते हैं। इनमें सुने कहानी एक अनूठा ऐसा आयोजन है जहां कथाकार श्रोता होता है और उसकी कहानी कोई दूसरा लेखक पढ़ता है। उन कहानियों पर लेखक आलोचक समीक्षाएं भी करते हैं। अंत में कहानीकार भी अपनी बात कहते हैं। देश का यह अपनी तरह का आयोजन है। इस आयोजन में कोई वरिष्ठ लेखक मुख्य अतिथि रहता है अर्थात उसके सानिध्य में यह कार्यक्रम संपन्न होता है। इस बार मुंबई में हरीश पाठक जी ने इस सानिध्य का सम्मान मुझे दिया और कल शाम सांताक्रूज में यह आयोजन हुआ जिसमें मुंबई के तकरीबन 12 युवा और वरिष्ठ कथाकार तो थे ही, साथ अनेक कवि, पत्रकार और कलाकार भी उपस्थित थे। अभिनेता कलाकार श्रुति श्री ने संस्था की ओर से सुंदर गुलदस्ता भेंट किया।
कहानियां इस बार चर्चित युवा कथाकार विमल चन्द्र पाण्डेय की जिंदादिल और शिवेंद्र की गेम चुनी गई थी। शिवेंद्र से पहली बार मुलाकात हुई। विमल जी की कहानी प्रियंवदा रस्तोगी जी और शिवेंद्र की विवेक अग्रवाल जी ने बहुत खूबसूरत अंदाज में पढ़ी जबकि उतनी ही बेहतरीन समीक्षायें डॉ.रविंद्र कात्यायन और डॉ.रीतादास राम जी ने की। मंच संचालन का उत्तरदायित्व अरविंद शर्मा राही जी ने बखूबी सुंदर टिप्पणियों के साथ निभाया।
दोनों कहानियां पहले जब छपी थी तो खूब चर्चित हुई थी। आज के समय की विरूपताओं को बहुत गहरे बयान करती ये दोनों कहानियां अचंभित भी करती है। विमल चंद्र पाण्डेय और शिवेंद्र अपने अनूठे विषय और शिल्प के लिए जाने जाते हैं जिन्होंने बेहतरीन कहानियां और उपन्यास हिंदी साहित्य को दिए हैं।
मेरे लिए यह भी सुखद था कि हिमाचल से उपन्यासकार गंगाराम राजी जी भी इस आयोजन में वशिष्ठ अतिथि थे। उनसे इससे पूर्व प्रिय मित्र प्रेम जनमेजय जी के घर पर आयोजित गोष्ठी में मुलाकात हो गई थी। उनके साथ पंजाब से वरिष्ठ कथाकार केवल सूद और भोपाल से व्यंग्यकार हरिजोशी भी वशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। और भी बहुत से युवा और वरिष्ठ साहित्यिक मित्रों से आत्मीय मुलाकात हुई। अनुराधा जी से भी पहलीबार मुलाकात हुई जिन्होंने अपने प्रकाशन की कुछ उत्कृष्ट कृतियों की प्रदर्शनी लगाई थी। कुल मिलाकर बहुत अभिनव आयोजन तो था ही साथ मुंबई के साहित्यिक मित्रों से बहुत स्नेह भी मिला जिसके लिए हरीश पाठक जी का दिल से आभारी हूं।
सुने कहानी का यह 12 वां आयोजन था। कथा एवं श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी मुंबई के बैनर में यह खूबसूरत आयोजन समय समय पर होता रहता है। इस कार्यक्रम को हरीश पाठक जी के साथ कमलेश पाठक जी और अरविंद राही जी आयोजित करते हैं। यह अनूठी परिकल्पना तो हरीश जी की है ही।